Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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निर्झर झरता गीत
यह गीत धरा का धैर्य गर्व है, नील–गगन का यह गीत झरा निर्झर-सा मेरे; प्यासे मन का …. यह गीत सु—वासित् : चंदन–वन…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
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जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
बहुत सुन्दर कविता
बहुत ही जबरदस्त लिखते हैं सर आप। आपकी लेखनी दमदार है वाह वाह
बहुत ही बढ़िया रचना
आओ चलो बिंदास बन
निज राह को नवगीत दो,
हो उलझनें जिस राह में
उस राह को भी गीत दो।
__________यह कवि सतीश जी की बहुत ही उच्च स्तरीय रचना है। जीवन में सकारात्मकता बिखेरते हुए उलझन में भी गीत गाते हुए और अमावस की काली रात में दोपहर जैसी क्षमता लाते हुए बहुत सुंदर जीवन दर्शन से सुसज्जित अति सुंदर कविता। भाव और शिल्प के सौंदर्य ने कविता में चार चांद लगाए हैं
बहुत सुंदर
Very beautiful