यादें
बीते कल की परछाई है और तुम्हारी यादें हैं
मैं हूँ, मेरी तन्हाई है और तुम्हारी यादें हैं..!!
सर्द अंधेरी इन रातों में थोड़ी सी मदहोशी है
टूटी सी इक अंगड़ाई है और तुम्हारी यादें हैं!!
छूके तुमको आने वाली इन मदमस्त हवाओं ने
भीनी खुशबू बिखराई है और तुम्हारी यादें हैं…!!
ख्वाब तुम्हारे देखने वाली चंचल सी इन आँखों मे
दर्द की बदली घिर आई है और तुम्हारी यादें हैं.!!
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
(21/12/2020)
“छूके तुमको आने वाली इन मदमस्त हवाओं ने भीनी खुशबू बिखराई है और तुम्हारी यादें हैं…!!”
वाह ,किसी की याद में लिखी गई बहुत ही
खूबसूरत पंक्तियां हैं अनु जी । लाजवाब अभिव्यक्ति
प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मैंम 🙂🙂
वास्तविक तथा यथार्थ चित्रण
यथार्थ चित्रण
धन्यवाद सर
यादों पर बहुत ही सुंदर कविता
बहुत खूब
Jay ram jee ki.