यादों की बारात
मुझे ठुकरा कर काश तुम अपना जीवन संवार लेते।
तेरी बेवफ़ाई को ही हम अनमोल तोहफ़ा समझ लेते।।
मुझे यह दु:ख नहीं कि तुम मेरे हमसफ़र नहीं बन पाए।
दु:ख तो इस बात की है हम एक हो के भी एक हो न पाए।।
जीवन में हर शख्स को मुकम्मल प्यार नहीं मिलता।।
फिर भी यादों की बारात में यादों के फूल है खिलता।।
बहुत खूब
सुन्दर रचना
सुन्दर अभिव्यक्ति
हृदय की वेदना को शब्दों से अभिव्यक्त करने की सफल चेष्टा की है अमित सर ने जो काबिलेतारीफ है