ये गुनगुनाहट कहाँ हुई है

ये गुनगुनाहट कहाँ हुई है
जो लेखनी ने बयान की है,
जो ध्वनि सुनी थी कभी मुहोब्बत की
आज फिर से सुनाई दी है।
निगाहों से मिलने को निगाहें
पलक झपकते मिला ही दी हैं।
सुहाना मौसम सुहाने पल-क्षण,
ये आहटें सी सुनाई दी हैं।
कभी हैं खट्टे फलों सी खुशबू
कभी वे लगती मिठाई सी हैं।
जो कह रहे हैं वो कुछ नहीं है
असल की बातें छुपाई सी हैं।
बयां न कर पाये थे मुहब्बत
मगर जिगर में सजाई सी हैं।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. ये गुनगुनाहट कहाँ हुई है
    जो लेखनी ने बयान की है…….
    ******* कवि के कोमल हृदय की खूबसूरत भावनाओं को दर्शाती हुई बेहद खूबसूरत रचना, लाजवाब अभिव्यक्ति, सुन्दर शिल्प और शानदार प्रस्तुति

  2. ये गुनगुनाहट कहाँ हुई है
    जो लेखनी ने बयान की है,
    जो ध्वनि सुनी थी कभी मुहोब्बत की
    आज फिर से सुनाई दी है।
    निगाहों से मिलने को निगाहें
    पलक झपकते मिला ही दी हैं।
    सुहाना मौसम सुहाने पल-क्षणकवि ने इस कविता को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है शानदार प्रस्तुति बहुत उमदा लेखन

+

New Report

Close