ये मंच बड़ा मन-भावन है..

दूर – दूर से कवि पधारे,
कोई पर्वतीय, कोई मैदानों से ।
यहां पे आकर , धूम मचा कर,
लिखें बड़े अरमानों से ।
मैं भी आई, नाम है गीता ,
लिख दी मैनें, भी कुछ कविता ।
सब का ही स्नेह मिला,
कुछ प्रमाण-पत्र मिले सम्मानों के ।
सावन मंच को नमस्कार है ,
कोटि-कोटि अभिवादन है ।
गागर में सागर समेटे ,
ये मंच बड़ा मन-भावन है..
हां , ये तो सावन है ।
जी हां, ये सावन है ।।
*****✍️गीता*****

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Responses

  1. एक सुंदर और लाजवाब अभिव्यक्ति है यह। काव्य सरिता बहाने में सुन्दर योगदान देने वाले सावन मंच के संबंध में सुन्दर अभिव्यक्ति।

    1. बहुत ही सुन्दर समीक्षा की है सतीश जी । सदा ही की तरह बहुत प्रेरणा देती हुई समीक्षा ।आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏

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