ये रिश्ता क्या कहलाता है ???

आँसू बहाते रहे हम रातभर
इन्तजार करते रहे
कोई आकर पोंछेगा !
कोई हाल तक पूंछने नहीं आया
सिस्कियां कमरे के बाहर तक
जाती रहीं
तड़पकर चीख भी निकलती रही
पर अनदेखा ही कर दिया सबने
हमें ऐतबार था कोई तो आएगा
जो सिर पर हाथ रखेगा,
संभालेगा, पुचकारेगा
पोंछेगा अश्क गालों से
देगा प्यार- दुलार बेशुमार
पूंछेगा रोने की वजह
कम करेगा दिल का दर्द
पर सब सुनते रहे
कोई नहीं आया
सब अपने ही हैं
रिश्ते तो हैं,
मगर कैसे हैं यही दिल सोंचता रहा…!!

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