*रंगा आसमां*
रंग दो अपने दिलों को,
कुछ इस कदर प्यार से
कि जैसे रंगा हो आसमां,
शाम की बहार से
ना कोई द्वेष हो मन में,
ना कोई दुर्भावना
स्नेह ही बरसे, चहुं ओर,
हो प्रेम की सद्भावना..
*****गीता
रंग दो अपने दिलों को,
कुछ इस कदर प्यार से
कि जैसे रंगा हो आसमां,
शाम की बहार से
ना कोई द्वेष हो मन में,
ना कोई दुर्भावना
स्नेह ही बरसे, चहुं ओर,
हो प्रेम की सद्भावना..
*****गीता
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कवि गीता जी की खूबसूरत और बेहतरीन अभिव्यक्ति
ख़ूबसूरत समीक्षा के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी
सादर आभार 🙏
Very nice
Thanks pragya
अति सुंदर
कविता की सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ऋषि जी.
बहुत खूब
बहुत बहुत शुक्रिया आपका भाई जी 🙏