Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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तुम मिले
चलते-चलते हम साथ हो लिए, तुम मिले एक साँस हो लिए, ज़ज्बातों को पी लिए और, रस्मो को साथ ले लिए,तुम मिले, शर्म औ हया…
मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
रंग दो मुझको साॅंवरिया
होली में मिलें कई रंग, रंग दो मुझको साॅंवरिया लाल, गुलाबी प्रेम रंग है, हो गई मैं तो बावरिया, रंग दो मुझको साॅंवरिया l हरा…
जाति- पाति के ताने-बाने
यूँ कहना तो बड़ा आसान है भूल जाना सारे बन्धनों को जाति -पाति को छोड़ देना परंतु सच्चाई यह है की जाति- पाति के ताने-बाने…
Waah
वाह