रक्तरंजित

रक्तरंजित इश्क में हज़ार होते हैं ख्वाब
मगर पूरे नहीं होते।

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

कविता

ना रुकना है ना थकना है सपने पूरे कर छोडूंगा मैं जान फूंक दूंगा अब तो , अपना रास्ता न मोडूंगा सपने पूरे कर छोडूंगा…

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