Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: संपादक की पसंद
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
याद है आज भी वो दिन
याद है आज भी वो दिन जब किताब के बीच कोई फूल दबा देते थे और खाली लम्हों को उस सूखे फूल से महकाया करते…
ज़िन्दगी
………………….…Few lines on life …………………..…… Kabhi gam to kabhi khushiyon ki saugat hai zindagi. Kabhi dhoop to kabhi chhaon mein tahalatee ek aash hai zindagi…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
अपहरण
” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…
Waah waah bahut khoob
Thank you so much Isha ji
ग्रेट पंक्तियाँ
बहुत बहुत शुक्रिया पीयूष जी
बहुत ही जबरदस्त। लेखनी को सैल्यूट। गजब की प्रतिभा है।
Thank you so much sir, Thanks for your precious and valuable compliment.
बहुत खूब
बहुत बहुत शुक्रिया आपका भाई जी 🙏
Great lines
Thank you so much chandra ji. I’m obliged to you 🙏