Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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हम क्या-क्या भूल गये
निकले हैं हम जो प्रगति पथ पर जड़ों को अपनी भूल गये मलमल के बिस्तरों में धँस के धरा की शीतलता भूल गये छूकर चलते…
उम्र लग गई
ख्वाब छोटा-सा था, बस पूरा होने मे उम्र लग गईं! उसके घर का पता मालूम था , बस उसे ढूंढने मे उम्र लग गईं !…
प्रातः की सुंदर बेला में
प्रातः की सुंदर बेला में सबसे पहले ईश्वर को धन्यवाद करना है जिसने नया सवेरा दिखलाया । फिर माता व पिता के चरणों को छूकर…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
सवेरा हुआ है
जाग मन सवेरा हुआ है गायब वो सारा अंधेरा हुआ है, अब भी क्यों आलस ने घेरा हुआ है। जाग मन सवेरा हुआ है। अधिक…
Wow very nice
Very good
वाह वाह
अतिसुंदर भाव
बहुत खूब वा लाजवाब अभिव्यक्ति