राधा-श्याम

प्रिये, यह आज तुमने कैसी चाय है बनाई
कौन सी लजीज़ वस्तु है मिलाई
घूंट-घूंट पीते अजब रूहानी मस्ती है छाई
इससे पहले तो कभी ऐसी चाय ना पिलाई।

नही जानाँ, आज बस चाय बनाते
राधा-श्याम धुन थी लगाई।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं कहलाते दहेज रे!

स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं कहलाते दहेज रे! माँग की गई वस्तु ही तो कहलाते है दहेज रे! स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं…

यादें

बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…

Responses

+

New Report

Close