रिश्ते..

रिश्ते तोड़ना बेशक,
एक ग़लत बात है
लेकिन , जहां कदर ना हो,
वहां निभाए भी नहीं जाते ।
गर चुप रहे कोई बंदा,
तो कुछ लोग,
भले लोगों के साथ
बोलने की हदें, भूल जाते हैं ।।

*****✍️गीता

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Responses

  1. वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। कवि गीता जी ने जीवनानुभूति का सरल और सुन्दर ढंग से चित्रण किया है। दैनिक जीवन में मानव व्यवहार से जुड़ी खूबसूरत पंक्तियों के संप्रेषण में कवि सफल रही हैं। वाह

    1. इतनी उच्च स्तरीय समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
      आपका सतीश जी ।मेरी कविता के भाव
      को समझने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सर 🙏

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