
लंबी इमारतों से भी बढकर, कचरे की चोटी हो जाती है
जिंदगी की सुंदर प्लास्टिक, कचरें में बदल जाती है
अगर यूज न हो ढंग से, ऐसे ही जल जाती है
कभी कभी जिंदगी से बढी मौत हो जाती है
जिंदगी कभी कभी पानी में भी जल जाती है|
कुछ को तो कचरे फैलाने से फ़ुरसत नहीं
कुछ की तो जिंदगी कचरें में गुजर जाती है|
फैलती हुई दुनिया में, जिंदगी कहीं सिमटी सी है
लंबी इमारतों से भी बढकर, कचरे की चोटी हो जाती है|
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राही अंजाना - January 18, 2017, 10:00 pm
Waah
Sridhar - January 19, 2017, 5:59 pm
shukriya shakun ji
देव कुमार - January 19, 2017, 11:12 am
Nice
Sridhar - January 19, 2017, 5:59 pm
shukriya
Panna - January 2, 2018, 9:15 pm
Nice
महेश गुप्ता जौनपुरी - September 9, 2019, 6:49 pm
वाह बहुत सुंदर रचना
Abhishek kumar - November 25, 2019, 5:22 pm
Awesome