लड़का नहीं होता

लड़का नहीं होता किसी घर का कुपुत्र माहौल बनाता उसे संत-असंत ।
मात-पिता का गुण भी होता पुत्र के रक्तों में इसलिए लड़का अकेला दोषी नहीं होता ।
कौन कहता है लड़का आज आवारा है, वो हसीनियों के गलियों में भटकता है ।
आज भी लड़का बनता कवि, दार्शनिक, लेखक, समाज-सुधारक है ।।2।।

देश की उन्नति में वीरों के श्रेणी में इन लड़कों का भी नाम आता है ।
जो अपनी जवानी देश की सरहद पे मातृभूमि की सुरक्षा के लिए लुटा देता है ।
गर्व है अभिमान है हमें देश के इन पुत्रों पे जो अपनी जिन्दगी देश के नाम कर देता है ।
नमन बार-बार तुम्हें शत् बार नमन, देश के वीरों-जवान तुम्हें ।।3।।
कवि विकास कुमार

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