Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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सुनी सुनी सी बात लगे इस बस्ती में, कुछ तो है जो ख़ास लगे इस बस्ती में, कभी सोंच आज़ाद लगे इस बस्ती में, कभी…
समर्पण :- जबरदस्ती या प्यार
समर्पण:- जबरदस्ती या प्यार कोने में दुल्हन बनी मै खड़ी थी, हाथों में सिंदूर की डिबिया पड़ी थी, वक्त था मेरे घर से विदा होने…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
शायर
शायर 🌺——🌺 शब्दों के तीरों से भरे तरकश सा व्यवहार करते हैं… शायर भी क्या खूब यार करते हैं। एक एक तीर से घायल हजार…
पथरों के शहर
पथरों के शहर बस्ती है यह पथरों की शहर जिसे कहते लोग बस्ती यह ऊँची मंजिलों की जहां छोटे दिल के बस्ते लोग बस्ती…
वाह बहुत सुंदर
जबर्दस्त