लाडो रानी

घर घर की रौनक लाडो रानी ,
जिद करके सुनती जो रोज कहानी।
चिपकती है मुझसे जैसे फेविकोल ,
आंखें घुमा ती है वहगोल -गोल ।
डांट लगाते पापा हंस जाते,
चाहते तब भी डांट ना पाते ।
सोनी ,मट्टो, हंसिनी ,मानो मन करता रोज नए नामों से पुकारो ।
भाई की लाडली लेकिन लड़ा की ,
हक की लड़ाई में दमखम दिखाती ।
छेड़ती भैया को हंसती वो जाती,
झगड़ा होने पर शिकायत लगाती ।
डांट पड़वाकर ही चै न पाती।
वरना टप टप आंसू टपकाती।
मम्मा पापा की है जो दुलारी ,
नाजुक भोली वह फूलकुमारी ।
इत्तु सी हंसी भोली सी मुस्कान ,
खिलखिला हट पर उसकी वारु यह जहान।
करती हूं प्रार्थना हे !भगवान खुशियों से रखना उसे सदा धनवान।
दुख का साया भी उसे छूकर ना जाए,
उसके पहले वह मुझसे टकराए।
बढ़ती ही रहे हंसी की खनखनाहट खुशियां दे हमेशा दरवाजे पर दस्तक ।
निमिषा सिंघल

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