लूटा है
झील सा जिस्म ओढ़ कर तुमने मुझको लूटा हैं,
ईश्क से बुखार कर देने वाली बातो ने मुझको लूटा हैं,
शौक नहीं था मुझे मर मिटने का मगर,
आपकी नशीली निगाहों ने मुझको लूटा हैं!!
बिखरी हैं खुशबु हर जगह आपकी साँसों की,
मुझे तो इस कातिल हवा ने लूटा हैं!!
बहुत खूब हैं आपके हुस्न की हर एक अदा,
आपने तो चाँदनी को भी चाँद से लूटा हैं!!!
beautiful poem yaar
I am reading your old poems… u write very well..i must say
वाह बहुत सुंदर
Wah
बहुत खूब