लोकतंत्र का पर्व है ( व्यंगात्मक छंद)
कोरोना का कहर है
हर गली हर शहर है
फिर भी लोकतंत्र का पर्व है
सोशल डिस्टेंसिग किधर है ?
वोट पड़ रहे हैं धड़ाधड़
वो कहाँ है जिन्हें कोरोना से लगता डर है
कैसा बनाते हैं नेता बेवकूफ
अपने स्वार्थ हेतु
और हम बन जाते हैं
लाइन में लगकर बेखौफ हम
वोट देने जाते हैं
नजर आता हमें अपना फायदा
पर होता किधर है ??
फिर भी…
कोरोना का कहर है
हर गली हर शहर है….
कोरोला का कहर है हर गली हर शहर है
फिर भी लोकतंत्र का पर्व है बहुत सुंदर
अतिसुंदर रचना
धन्यवाद
Nice
Thanks
Great
धन्यवाद