वतन के वास्ते
“इसी तरह से हे महासत्य मेरा साथ तुम देना,
इसी मिट्टी का हो जाने का वर हे नाथ तुम देना ।
जगत के दृश्य में कर्ता भले कोई भी हो लेकिन,
मेरे काँधे, मेरे सर पर सदा ही हाथ तुम देना ।
तुम ही दृष्टा, तुम ही श्रोता तुम ही तो भक्तवत्सल हो,
अगर आ जाऊँ मैं चलके कभी शरणार्थ, तुम देना ।
मेरी हर साँस लिख दी है वतन के वास्ते मैंने,
मेेरे इस देश की खातिर ही मेरा साथ तुम देना ।”
#15अगस्त
बहुत सुंदर
🙏🙏
जय हिन्द 🇮🇳
JAI HIND
nice poem
Thank You
जय हिन्द
जय हिन्द
Atisunder
धन्यवाद आपका
बहुत ही उम्दा
जय हिन्द