वर्णों से सुशोभित आखर
ज़रा ध्यान से देखो हिंदी हमारी
भारतीयता की गौरव की कहानी
स्वयं माथे बिंदिया चुनरिया ओढ़कर
भारतीय सभ्यता संस्कृति दर्शाती
दिन प्रितिदिन की बोलचाल में
मुहावरे,लोकोक्ति भी शान से बोले
वेद, पुराण, रामायण ,महाभारत
हिंदी भावार्थ से सबको समझ आती
आधे अधूरे का साथ न छोड़े
मिलाकर अपने में पूर्ण बनादे
अ से अनार से शुरुआत कराकर
ज्ञानी बनाकर व्याकरण सिखलाती
वर्णों से सुशोभित आखर बन जाती
आखर से मिलकर वाक्य बनाती
वाक्य से जुड़ें जब भाव सजाती
भावों से जुड़ भावनात्मकता फैलाती
छोटी बड़ी मात्रा जब मिल जाती
नि:स्वार्थ प्रेम का ज्ञान कराती
ऊँच नीच का भेदभाव मिटाकर
जीवन जीने का सार बतलाती।।
सभी हिंदुस्तानियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।
नेहा सक्सेना
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