वीर सिपाही
कौन कहता है कि मेरे
सगे भाई नहीं हैं
इसलिए राखी पर रोऊँगी।
वे लाखों वीर सिपाही
मेरे ही तो भाई हैं
जो भारत मां की रक्षा को
निडर खड़े हैं सीमा पर,
उनको मैं राखी भेजूंगी,
असली रक्षक तो वे ही हैं।
उनको ही राखी भेजूंगी।
कौन कहता है कि मेरे
सगे भाई नहीं हैं
इसलिए राखी पर रोऊँगी।
वे लाखों वीर सिपाही
मेरे ही तो भाई हैं
जो भारत मां की रक्षा को
निडर खड़े हैं सीमा पर,
उनको मैं राखी भेजूंगी,
असली रक्षक तो वे ही हैं।
उनको ही राखी भेजूंगी।
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कवि ने अपने कोमल भावों को व्यक्त किया है भावपक्ष 👌👌
धन्यवाद जी
अति सुंदर विचारों से परिपूर्ण सुंदर रचना।
धन्यवाद जी
Shandar
धन्यवाद जी
सुन्दर
Dhanyvaad
सुन्दर
धन्यवाद