वीर

छोड़ कर घरबार अपना,
सीने पर गोली झेली

बहा के अपने रक्त को,
बचा ली मांगों की रोली

खेल सकें हम सब होली,
सीने पर झेली गोली

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

वीर

छोड़कर घर अपना , सीने पर झेली गोली बहा अपने लहू को , ली बचा मांगों की रोली -विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)-

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

Responses

New Report

Close