Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
वायु मानव
संवाद – वायु मानव चन्द वायु की लड़ियों ने आकर मुझको घेर लिया सिसक सिसक कर कहने लगी पेड़ो क्यों काट रहे हो मैं दंग…
वायु संवाद
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अंतर
है कैसी अंतर पुल कन, जिससे में पुलकित हूँ है घनघोर पतझड़, फिर भी में सुरभित हूँ -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
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