वो एक कप कॉफी***
वो एक कप कॉफी का वादा
तुम्हें याद होगा
रोज़ मिला करते थे तुम मुझसे
उसी वादे की खातिर
कहना चाहते थे मगर
कह नहीं पाते थे
कि चलोगी मेरी बाइक
की बैक सीट पर बैठकर
एक कप कॉफी पीने ?
जो वादा किया था
तुमने एक रोज़
पर कहने वाली एक बात भी
ना कहते थे तुम और
ना जाने कितनी बातें कर जाते थे
वो एक कप कॉफी तुम्हारे साथ
पीने को बेताब मैं भी थी
पर तुम कभी कह ही नहीं पाए और
वो एक कप कॉफी का वादा
अधूरा रह गया !!
वो एक कप कॉफी अगर हम साथ पीते तो…
बहुत खूब
आभार
बहुत ख़ूब, प्रेमभाव संजोए हुए बहुत सुंदर कविता ।
आभार दी
कॉफी का वादा अब भी
निभाया जा सकता है,
बस राहे नजर बदल लो,
खुशी मनाया जा सकता है,
वह बात अब किसी से कहने की जरूरत नहीं,
बस कलम उठाओ कॉपी पर लिखने की जरूरत है🙂🙏
प्रज्ञा जी अति सुंदर भाव है
कॉपी पर क्यों लिखें साहब जब सावन है..
और वैसे भी यह कवि की कल्पना है…
प्रेममयी बहुत सुंदर रचना
धन्यवाद