वो कहते है, हम कहते है………
वो कहते है हमारे निगाह को यूँ देखा न करो
हम कहते है के तुम अपनी निगाह से हमें यूँ देखा न करो
वो कहते है बहुत शर्म-ओ-हय्या आती है हमको
हम कहते है की तुम अपनी निगाह को यूँ उठाया न करो
वो कहते है आज फिर मौसम थोड़ा मदहोश हो चला है
हम कहते है की तुम अपनी निगाह को यूँ झुकाया न करो
वो कहते है आज फिर काली घटा छाने लगी है
हम कहते है की तुम अपनी निगाह में सुरमा लगाया न करो
वो कहते है क्यों सब हमारे हुस्न के दीवाने है
हम कहते है की तुम अपनी निगाह से सबको सताया न करो
वो कहते है हमारे निगाह को यूँ देखा न करो
हम कहते है के तुम अपनी निगाह से हमें यूँ देखा न करो ……………!!
Nice
Wah