वो ज्वार है इश्क
मर के भी ना खत्म हो
वो जुनून है इश्क
जी कर जो अधूरी रह जाए
वो कहानी है इश्क
तेरे-मेरे दर्मियां जो
रिश्ता है
उसका नामोनिशान है इश्क
बीच की खिड़की खोलकर
जो बातें होती हैं
उन बातों का बहाना है इश्क
रब होगा पर देखा नहीं
मेरे लिए तो मेरा भगवान है इश्क
नजरों से नजरें टकराने पर
जो होता है
वो एहसास है इश्क
मेरे होंठों ने जो ना कहा
मेरे कानों ने जो ना सुना
वो अल्फाज है इश्क
तेरे सामने आते ही जो मचती है
हलचल दिल में
वो ज्वार है इश्क
तेरे स्पर्श से जो रोंम-रोम
पुष्पित हो उठता है
उस बसंत की बहार है इश्क..
वाह वाह, बहुत खूब, अतिसुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद
क्या बात है ,बहुत ख़ूब अति सुंदर भावभिव्यक्ती
धन्यवाद
बहुत खूब
धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
Thanks
वाह👌👌👌✍✍
Jab aap koi comment likhte hain to bahut khushi hoti hai