वो भी ज़हर खा बैठे, हम भी ज़हर खा बैठे
उनकी तग़ाफ़ुल का नतीज़ा क्या कहे तुम सब से
हम अपनी मोहोब्बत को तबाह कर बैठे,
वो न जी सके हमारे बेगैर, और हम न जी सके उनके बेगैर
वो भी ज़हर खा बैठे, हम भी ज़हर खा बैठे……………………………..!!
उनकी तग़ाफ़ुल का नतीज़ा क्या कहे तुम सब से
हम अपनी मोहोब्बत को तबाह कर बैठे,
वो न जी सके हमारे बेगैर, और हम न जी सके उनके बेगैर
वो भी ज़हर खा बैठे, हम भी ज़हर खा बैठे……………………………..!!
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बहुत अच्छे
सुन्दर रचना