वो मुकाम पाऊँ

वो मुकाम पाऊँ!
बस एक ही तमन्ना है जीतेजी ही नहीं
मरके भी सबो के काम आऊं
सारी खुबिया हो मुझमें
पसंद बनू हर मन की वो मुकाम पाऊँ !
दिया तो बहुत कुछ है, अब और क्या मान्गू
सहेजना आया ही नहीं,तुझे इसमें क्यू सानू
बस अरज है इतनी, जो है उसे संभाल पाऊँ
पसंद बनू सबकी—————!
थक गयी हूँ बहुत खुद को सुलझाने में
कसर कहाँ रखी बाकी मुझे उलझाने में
हर उलझनों को खुद से ही सुलझा पाऊँ
पसंद बनू सबकी वो———–!
तेरे करम पे विश्वास कम हो ना पाए
हर वक्त काम मेंरे तेरी ही रहम आए
फ़ितरत हो ऐसी,दूर तुझसे जा ना पाऊँ
पसंद—————————!
सुमन आर्या

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. बेहतरीन प्रस्तुति
    मैडम पंक्तियों को पूरा लिखा करो ताकि पढ़ते समय तुक बनी रहे

+

New Report

Close