Categories: शेर-ओ-शायरी
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ख़ुशी जिसे कहते हैं
ख़ुशी जिसे कहते हैं, वो चीज ढूंढता हूँ गैरों की इस दुनिया में अपनों को ढूंढता हूँ अकेला तो न था पहले कभी इतना साथ…
अलख जगे आकाश
तन कुँआ मन गागरी, चंचल डोलत जाय ! खाली का खाली रहे, परम नीर नहिं पाय !! मोती तेरा नूर मैं, देखूं चारों ओर…
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“मैं ढूंढता रहा”
“मैं ढूंढता रहा” :::::::::::::::::: मैं ढूंढता रहा, उस शून्य को, जो मिलकर असंख्य गणना बनते । मैं ढूंढता रहा , उस गाथा को , जिस…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
वाह, क्या बात है
✍👌🤔🤔🙂🙂
अतीव सुन्दर पंक्तियाँ, बहुत खूब
,सुंदर