वो सुबह न आये जिसमे तुझको टूट कर बिखरता देखूं
वो सुबह न आये जिसमे तुझको टूट कर बिखरता देखूं,
तेरे रगो में न कभी मैं जुदाई का जहर उतरता देखूं,
मांगा है जिसे मैंने भी हर चौखट पर खुदा की,
वो पल ही न आये जिसमें मैं तुझको सिसकता देखूं॥
राही(अंजाना)
वो सुबह न आये जिसमे तुझको टूट कर बिखरता देखूं,
तेरे रगो में न कभी मैं जुदाई का जहर उतरता देखूं,
मांगा है जिसे मैंने भी हर चौखट पर खुदा की,
वो पल ही न आये जिसमें मैं तुझको सिसकता देखूं॥
राही(अंजाना)
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.
सुन्दर रचना