शबरी की प्रतीक्षा

कई वर्षों की प्रतीक्षा के बाद,
जब शबरी के आश्रम आए श्री राम
शबरी ने कहा श्रीराम से,
आए हो तुम तो निज काम से
रावण का वध ना करना होता
तो तुम इस वन में क्यूं आते बेटा
राम हुए गंभीर फिर कहा,
रावण का वध तो बहाना ही था,
आपके पास तो आना ही था
ताकि भविष्य स्मरण रख सके,
कि प्रतीक्षाएं होती हैं पूरी
समाज के किसी भी व्यक्ति की,
कोई इच्छा रहे ना अधूरी
राम-राज्य को है ये जरूरी
यह सुनकर शबरी की आंखों में,
भर आया स्नेह का जल
बोली बेर खाओगे राम,
मुस्कुराकर हां भरी प्रभु ने
और बेर खाने लगे श्री राम
_____✍️गीता

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