Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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#_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है
#_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है _______**********************__________ कुछ अजीब सा माहौल हो चला है, मेरा “वाड्रफनगर” अब बदल चला है…. ढूंढता हूँ उन परिंदों को,जो बैठते थे कभी घरों के…
चलो थोड़ा जादू करते हैं
चलो थोड़ा जादू करते हैं जनता के दिल को छूती हुई एक कविता लिखते हैं झोपड़ियों में पल रही भूख से टकराते हैं छोटे छोटे…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
“शब्दों के सद्भाव”
” माँ ” ——- शब्दों के सद्भाव ^^^^^^^^^^^^^^^^^^ मानवता भी धर्म है जैसे इन्सानियत मज़हबी नाम, शब्दों के सद्भाव भुलाकर जीवन बना लिया संग्राम |…
भारत को स्वच्छ बनाना है
चलो उठो ये प्रण कर लें हम भारत को स्वच्छ बनाना है, धरती माँ के आँचल को हरियाले,फल-फूलों से सजाना है, प्रदूषण की जहरीली हवा…
Sahi kaha
Ryt
Ryt
True lines
Right
Kya baat
Right
वाह