Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
तुम आओ सिंह की सवार बन कर
तुम आओ सिंह की सवार बन कर ! माँ तुम आओ रंगो की फुहार बनकर ! माँ तुम आओ पुष्पों की बहार बनकर ! माँ…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
नव वर्ष आ रहा है
समय की धीर लहरें बढ़े ही जा रही हैं, खुद में बीते दिनों को समाते जा रही हैं। जा रहा यह बरस अब वक्त के…
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