शायरी संग्रह भाग 3

मेरे इलाही मेरे रक़ीब को सलामत रखना। वो भी रोयेंगे मेरे मह़सर में।।1।।
 विकास कुमार कमति

मेर रक़ीब मेरे माशुक को गुल दे दो। वो समझेंगे हमराह शव-ए-विशाल है।।2।।
 विकास

मेरे इलाही मेरे माशुक को मेरे रक़ीब से मिला।
मैं चाहता, उनके चेहरे पर तब़सूम हो।।3।।
 विकास कुमार

किसी वज्म़ में मेरे रक़ीब ने मेरा कलाम सुनाया। सुनके अश्क भरे आये, मेरे महब़ुब की।।4।।
 विकास कुमार

मेरे मर्ग पर रोयेंगे मेरे रकीब भी। देखेंगे मेरे नवाज भी।।5।।
 विकास कुमार

मेरे रक़ीब रहीम-ओ- करीम ले।
वो हिमायत करेंगे जहां की।।6।।
 विकास कुमार

सुराग-ए-जिन्दगी कुछ यूँ हुआ।
नवाजिश आज बातिल बना।।7।।
 विकास कुमार

मेरे रब हमें ताकत-ए-परवाज दें की। मैं रकीब के लिए नूरी बनूँ।।8।।
 विकास कुमार

किसी अंजुमन में सुराग-ए-जिन्दगी का चला। किसी फक़ीर ने रहीम-ओ-करीम का नाम लिया।।9।।
 विकास कुमार

मेरे रहीम हमें वो इबादत दें कि।
मैं तेरे घर से तेरी जीऩत चुरा लूँ।।10।।
 विकास कुमार

मेरे इलाही, मेरे खुद़ा ! हमें वो इबादत दे। मैं खूद में देखूँ तेरी जीऩत देखूँ।।11।।
विकास कुमार

मेरे नवाजीश मैं तेरा इबादत करता। हमें सुराग-ए-जिन्दगी बता।।12।।
 विकास कुमार

किसी अंजुमन में अब अपनी वस्ल न होगी। लव-ए-दार हूँ, जरा जीनत़ दिखा मेरी जां।।13।।
 विकास कुमार

थक गया मय पी-पी कर।
फैक-मस्ती में लुप्त-ए-बहार अच्छा नहीं।।14।।
 विकास कुमार

तेरे बगैर अंजुमन में लुप्त-ए-बहार अच्छा नहीं। तेरे बगैर शव-ए-विसाल, लव-ए-दार है।।15।।
 विकास कुमार कमती।।

आजकल तेरे दीदार होते नहीं, लगता है, तेरी आँखें बेवफा हो गई।16।।
 विकास कुमार

तेरे वज्म़ में हम भी आयेंगे, तू तौहिन करना मेरी मुफ़लिसी की।।17।।
 विकास कुमार

हमराह दुआ करेंगे, अपने ईलाही से, हमें गमे-ए-जहां दे। और अपने बंदे को फुर्शत-ए-गुनाह दें।।18।।
 विकास कुमार

मेरे रक़ीब कहते मेरी माशुक ने तो तुझे रुसव़ा कर दिया। मेरे यार कहते है, तेरी जान ने तो तुझे फुर्शत-ए-गुनाह दी।।19।।
 विकास कुमार

मेरे माशुक मेरी मुफ़लिसी की तौहीन करना। मैं चाहता, तेरे रक़ीब अपने आँगन में दो गुल देंखे।।20।।
 विकास कुमार

हमें शर्म नहीं रुसवाई की, तू और तौहीन कर मेरी मुफ़लिसी की ।।21।।
 विकास कुमार

कभी आया करो, मेरी जां, हम मुफ़लिसों के घर, हम पानी नहीं, प्रीत के अश्रु पीलाते हैं।।22।।
 विकास कुमार

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