शायरी

अभी-अभी धारा से उठे हैं ,
चलना भी सीख जाएंगे,
कभी उठेंगे तो कभी गिरेंगे,
कभी बिना गिरे भी संभल जाएंगे।

Related Articles

नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन

नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन आमोद !प्रमोद! विनोद !नवल !नव हर्ष! तुम्हारा अभिनंदन ! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन !! 💐💐💐💐💐💐💐 नवसंतति के नवचेतन में फूटें अंकुर मुद…

बंद किताब

कुरेदने ना देना इस दिल को मेरे। राख तले दबे अरमान, सुलग उठेंगे शोलो की तरह। झांकने ना देना इन आंखों में मेरी। इनमें तुम्हारा…

Responses

+

New Report

Close