शिव भोलेशंकर

हे! महेश्वर शंभू दीनानाथ,
कृपादृष्टि बरसाओ देना साथ,
हम शरण तिहारी आए हैं,
करूं विनती जोडूं दोनों हाथ।

शशिशेखर विश्वेश्वर दिगंबर,
तुम परमपिता हो परमेश्वर,
सिर जटा में गंगा की धारा,
कहलाते जटाजूट गंगाधर।

भस्म रमाए श्यामल तन पर
तुम देते हो मनवांछित फल
देवों के देव महादेवा,
तारक शाश्वत भव दिगंबर।

त्रिनेत्रधारी, ललाट चंद्र विराजे
हे कैलाशवासी मस्तक चंदन साजे,
ओढ़े मृगछाला बाघांबर
गल सर्पों की माला छाजे।
(आप सभी को श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐)

स्वरचित मौलिक रचना
✍️… अमिता गुप्ता

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close