संजना
सावन में ए सखी, खनके क्यों कँगना।
कोयलिया गीत सुनाए ,क्यों मेरे घर अँगना।।
बार बार दिल धड़काए, प्यास जगाए।
जाने क्या करेगी, मेरी नादान ए कँगना।।
जब सुनती हूँ, “ए शोभा पियु कहाँ ” की मीठी स्वर।
तब न पूछ सखी , घायल हो जाती है ए संजना।।
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Geeta kumari - August 8, 2020, 11:37 am
बहुत ख़ूब
Satish Pandey - August 8, 2020, 11:41 am
वाह वाह
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - August 8, 2020, 8:58 pm
बेहतरीन