Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
आओ कुछ बेहतर करते हैं..
‘आओ कुछ बेहतर करते हैं.. कुछ बाहर जग की परिधि में, कुछ अपने भीतर करते हैं.. आओ कुछ बेहतर करते हैं.. आओ कुछ बेहतर करते…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
**ख्वाहिश रखता हूं**
****ख्वाहिश रखता हूं**** ना साथ की ख्वाहिश रखता हूं, ना प्यार की ख्वाहिश रखता हूं, मैं सिर्फ तुम्हारे चेहरे के दीदार की ख्वाहिश रखता हूं…
लॉक डाउन २.०
लॉक डाउन २.० चौदह अप्रैल दो हज़ार बीस, माननीय प्रधान मंत्री जी की स्पीच । देश के नाम संबोधन, पहुंचा हर जन तक । कई…
बहुत खूब, बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ। ऐसे ही लिखते रहें, स्तरीय लेखन।
बहुत-बहुत धन्यवाद
बेहतरीन
सादर आभार
Waah waah
सादर धन्यवाद
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
सादर धन्यवाद
Very true
सादर आभार