Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
सत्ता और सुन्दरी
सत्ता और सुन्दरी एक ही सिक्के के दो पहलू दोनों का चरित्र : दलबदलू इक- दूजे के बिना अधूरे दोनों प्रतिबध्द परस्पर पूरे आदमी के…
मुक्त आकाश में
मुक्त आकाश में हवाओं ने कब किसी का रास्ता रोका है हम ही तेज हवाओं के भय से रास्ते बदल लेते है रास्तों ने कब…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
” किस्सा–कुर्सी — का “
व्यंग्य गीत ———– अनुपम त्रिपाठी ” किस्सा–कुर्सी — का ” बचपन में किस्सों में कुर्सियों की बातें सुनते थे।आजकल कुर्सियों के किस्से आम हैं ।…
Satya kahi jee