Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है ।
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है । प्रेम से ही टिकी हुई, धरती, गगन, भुवन है ।। अर्थ जगत का सार…
*दिनकर आए हैं कई दिनों के बाद*
दिनकर आए हैं कई दिनों के बाद, विटामिन डी ले लो। बांट रहे हैं मुफ्त में सौगात, विटामिन डी ले लो। बातें करो धूप संग…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
ऐ बेदर्द सर्दी! तुम्हारा भी कोई हिसाब नहीं
ऐ बेदर्द सर्दी ! तुम्हारा भी कोई हिसाब नहीं। कहीं मंद शीतल हवाएँ । कहीं शबनम की ऱवाएँ ।। दिन को रात किया कोहरे का…
जय शिवशंकर गौरीशंकर
जय शिवशंकर गौरीशंकर पार्वतीशिव हरे-हरे (2) रामसखा प्रभु राम के स्वामी, विष्णुवल्लभ भोलेनाथ । जय शिवशंकर गौरीशंकर, पार्वतीशिव हरे-हरे (2) ।।1।। कैलाशपति प्रभु औढ़रदानी, नीलकंठ…
“विनयचंद विटामिन डी सेअश्थि सबल बन जाते।।”
विटामिन डी के बारे में बताती हुई कवि विनायचंद शास्त्री जी की बहुत ही सुन्दर रचना । सर्दियों की धूप पर बहुत अच्छी कविता, भाई जी
धन्यवाद बहना
बहुत ही सुन्दर
धन्यवाद
अति सुंदर
धन्यवाद
लाजवाब अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद
अच्छा एवं सफल लेखन
शुक्रिया तहे दिल से