साथ मिले या ना मिले तुम्हें किसी का
साथ मिले या ना मिले तुम्हें किसी का,
पर साथ दे तु हर किसी का ।
कर भला तु सदा जहां का,
क्या जहां से भला नहीं होता किसी का?
साथ मिले या ना मिले तुम्हें किसी का,
पर साथ दे तु हर किसी का ।।1।।
रौशनी अँधियारों में कभी भटकता नहीं,
मिल ही जाती है मंजिल उन्हें कभी-न-कभी ।
कल उन्हीं के राहों में फूल खिलेंगे,
आज जिनके पाँवों में काँटे चुभे हैं ।
साथ मिले या ना मिले तुम्हें किसी का,
पर साथ दे तु हर किसी का ।।2।।
मदद कोई व्यवसाय नही,
कि इसके बदले तुम्हें कोई शय मिले ।
मिलेंगे तुम्हें वो शय खूदा से,
जो दुनिया तुम्हें कभी दे न सकें।
साथ मिले या ना मिले तुम्हें किसी का,
पर साथ दे तु हर किसी का ।।3।।
गीत विकास कुमार
अतिसुंदर
Beautiful poem
सुन्दर अभिव्यक्ति