सावधान
अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करने
आए हैं हम नौजवान
देख रहा नतमस्तक होकर
अपनी दिलेरी आसमान
भारत के लाडलें हम
मातृभूमि पर प्राण चढ़ाएं
तन मन धन से हम सब
जग जननी का मान बढ़ाएं
कण-कण मिलकर एक हुआ
और बन गया तूफान
इस मिट्टी के कर्जदार हैं
बहुत है हम पर एहसान
अपने वतन से किसी को भी
अब करने नहीं देगें गद्दारी
आत्म समर्पण कर दो तुम
हो जाओ फिर सावधान।
वीरेंद्र सेन प्रयागराज
अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करने
आए हैं हम नौजवान
देख रहा नतमस्तक होकर
अपनी दिलेरी आसमान।
बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति, जय हिंद
धन्यवाद सर जी
देशभक्ति से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना
आभार
बहुत सुंदर रचना
बेहतरीन
बहुत खूब