सावन परिवार अनूठा है
साहित्य एक विधा है
न कुछ दिनों की संविदा है
लिखूं कुछ ऐसा
जिसकी सबको प्रतिक्षा है
कहीं मिले आलोचना
कहीं मिले सुंदर समीक्षा है
अभी मैं हूं एक ‘नन्हीं कलम’
पर आकाश छूने की उत्कंठा है
ना चाहूं किसी से हार जीत
ना कोई प्रतिस्पर्धा है
मिलता रहे सभी का सानिध्य हमें
क्योंकि सावन परिवार अनूठा है
—✍️ एकता
जीतने नहीं देंगे वो
किसी भी तरह हरा देंगे
सुना सुना कर उलाहना की बातें
साहित्य को हरा देंगे।
Nice
Thanks
सावन परिवार सचमुच अनूठा है तथा आपके आ जाने से सावन और हरा भरा हो गया हमारी इच्छा है कि आपकी लेखनी यूं ही अविरल जलती रहे और आपका प्यार यूं ही मिलता रहे
सावन परिवार में बहुत ही मिठास है हम चाहते हैं कि ये मिठास यूं ही बनी रहे और आपका सानिध्य हमें मिलता रहे।
बिना मन को छोटा किए बिना इधर-उधर की बातें सोचे आप अपनी कलम को अविरल चलाती रहें आपकी कलम अवश्य ही ऊंचाइयों को छुए गी क्योंकि आपकी कलम बहुत ही उत्कृष्ट है
बहुत ही सुंदर विचार
धन्यवाद
न हारा है, न हारेगा
कभी भी “साहित्य ”
गर सुनायेंगें बातें उलाहना की
अपनी नन्हीं कलम को तलवार
बना लेंगें
बहुत सही, अति उत्तम, you are great
वाह वाह, अति उत्तम रचना
सादर अभिनंदन
“अभी मैं हूं एक नन्ही कलम, पर आकाश छूने की उत्कंठा है”
बहुत सुंदर पंक्तिया,ईश्वर से यही कामना है आप अपना लक्ष्य हासिल करें।
अतिसुंदर
धन्यवाद शास्त्री जी