सावन
बदलती ऋतुओं से बदल रहा है मन
देखते इन नजारों को बाबरा हो रहा है तन
बादलों के टूटने की लड़ी आ रही है
वह तेज गड़गड़ाहट और चमकता आसमान
देखने की घड़ी आ रही है
बेसब्र हो रहा है दिल हमारा
कब मिलेगा देखने को सावन का
वह मनभावन दृश्य दोबारा
लगता है
वादियों का हो रहा है इशारा
सूर्य पर भी बादलों का पर्दा छा रहा
लगता है सावन करीब आ रहा
बदल रहा है मौसम बदल रहा है नजारा,
बहुत करीब आ रहा है सावन का सुहावन दृश्य प्यारा|
बहुत सुन्दर रचना
शुक्रिया
बेहतरीन
जी शुक्रिया
लाजवाब रचना
शुक्रिया
अति सुन्दर रचना
अती सुन्दर