सिद्ध अब यह हो गया है

सिद्ध अब यह हो गया है
सब तरफ से हैं गलत हम,
ठोकरें देते रहे हैं,
दूसरों को हर बखत हम।
भावनाएं खुद हमारी
हैं गलत तुमसे कहें क्या
खुद के खुद दोषी बने हैं
और की बातें करें क्या।

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Responses

  1. बहुत सुन्दर ।
    अपनी खामियों को स्वीकार कोई विरला ही कर पाता है ।
    प्रेरणादायक ।

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