सिद्ध अब यह हो गया है
सिद्ध अब यह हो गया है
सब तरफ से हैं गलत हम,
ठोकरें देते रहे हैं,
दूसरों को हर बखत हम।
भावनाएं खुद हमारी
हैं गलत तुमसे कहें क्या
खुद के खुद दोषी बने हैं
और की बातें करें क्या।
सिद्ध अब यह हो गया है
सब तरफ से हैं गलत हम,
ठोकरें देते रहे हैं,
दूसरों को हर बखत हम।
भावनाएं खुद हमारी
हैं गलत तुमसे कहें क्या
खुद के खुद दोषी बने हैं
और की बातें करें क्या।
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.
अपनी गलती मान लेना बहुत बड़ी बात होती है सतीश जी। सैल्यूट🙋
सादर अभिवादन, आपकी स्नेहमयी लेखनी सत्य की ओर प्रेरित करती है।
🙏🙏
सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत सुन्दर ।
अपनी खामियों को स्वीकार कोई विरला ही कर पाता है ।
प्रेरणादायक ।
सुंदर समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद, आपकी टिप्पणी नवीन ऊर्जा का संचार करेगी
Very nice
Thanks ji
बढ़िया कविता
धन्यवाद जी