सुख दुःख
एक विरोधाभास रहा है
हमेशा से हमारी कल्पनाओं
और वास्तविकता के बीच..!!
जहाँ कल्पनाएं सुख की मीठी नदी है,
वहीं वास्तविकता दुःख का खारा सागर..!!
मगर हम हमेशा
वास्तविकता की अवहेलना कर
चुनते हैं कल्पनाओं की नदी में गोते लगाना!!
ये जानते हुए भी कि
अनेकों नदियाँ अपना अस्तित्व खोकर
भी मिटा नहीं सकती सागर के खारेपन को..!!
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
कल्पना और वास्तविकता पर आधारित कवियित्री अनु उर्मिल जी की बहुत ही सुन्दर रचना , भाव और शिल्प का सुन्दर समन्वय।______आप ही से इत्तेफाक रखती हुई चंद पंक्तियां मेरी कविता से ……..
“कल्पना की दुनियां, बहुत ख़ूबसूरत। हकीक़त इससे कहीं तो जुदा है कभी मेल खाती, कभी दूर जाती हकीक़त की दुनियां है, कल्पना सी कहां है “
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
अति सुन्दर
बहुत खूब
बहुत खूब, सुन्दर रचना
Kavi it’s mean god. But all the world are god.
Jay ram jee ki .