*सुख-दुख* तो लगा रहेगा साथी

दो पल का है यह *स्वर्णिम जीवन* बाकी
*सुख दुख* तो लगा रहेगा साथी
नैतिकता* मानवता* सादगी* का गहना
पहनकर सत्कर्म* करो मेरे साथी
मत अभिमान करो इस तन पर
यह तन तो हो जाना एक दिन माटी
कर परोपकार*, सद्भावना* रख
अपनी अमिट पहचान बना ले ओ साथी*

स्वरचित एवं मौलिक रचना
–✍️एकता गुप्ता *काव्या*
उन्नाव उत्तर प्रदेश

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