सुबह कितनी मनोरम है
सुबह कितनी मनोरम है
उग चुकी सूर्य की
प्यारी किरण है।
उस पर तुम्हारी
मुस्कुराहट का चमन है।
तभी तो
आज कुछ ज्यादा चमक है,
क्योंकि पायल की सुनाई दे रही
मधुरिम खनक है।
सूरज उजाला दे रहा है
पर चमक तुम से ही है,
कुछ भी कहो आंगन की रौनक
तुमसे है तुमसे ही है।
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
harish pandey - October 9, 2020, 9:39 am
Waah bahut khoob
Satish Pandey - October 9, 2020, 10:48 am
धन्यवाद हरीश जी
Geeta kumari - October 9, 2020, 10:33 am
बहुत ही सुंदर काव्य रचना है सतीश जी ।कवि सतीश जी ने उगते सूर्य की सुंदर आभा का बहुत ही खूबसूरती से चित्रण किया है ।जीवन साथी के पैरों की पायल की गूंज से घर गुंजायमान है और घर के आंगन में रौनक ही रौनक है ।अद्भुत रचना कर गई लेखनी वाह सर अति सुन्दर प्रस्तुति ।
Satish Pandey - October 9, 2020, 10:51 am
आपकी प्रखर लेखनी से समीक्षा के रूप में इतनी सुंदर टिप्पणी सामने आई है। आपको बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी। आपकी लेखनी सदैव ही पथ रोशन करने वाली है। जय हो
Piyush Joshi - October 9, 2020, 11:18 am
वाह बहुत खूब सर, बहुत ही जबरदस्त पंक्तियाँ
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - October 9, 2020, 2:29 pm
सुंदर