सुबह कि लालिमा
सुबह की लालिमा
सुबह सुबह सूर्य की लालिमा
मुझसे कुछ कहती हैं
भोर हुआ जग जा प्यारे
चिड़िया ची – ची करती हैं
नदियाँ झरना जंगल के बुटे
सबसे अनोखे से लगते हैं
ओंस की खिलखिलाती बूँद
वसुधा को जब स्पर्श करती हैं
मोती जैसे चमक जाती
ओंस की सुनहरी बूँदे
जिवन्त हो जाती पुष्प लतायें
जब प्रकृति रस का पान हैं करती
फूलो पर मड़राते भौरे
प्रेम का इजहार हैं करते
महेश गुप्ता जौनपुरी
क्या बात है
बहुत बहुत धन्यवाद जी
Good